जीवन दायनी नदियों की व्यथा।
मानव ने जब संघटित होकर रहना प्रारम्भ किया, तो उसने नदियों के आंचल में शरण ली, क्योंकि वहां जीवन का आधार जल सुगमता से प्राप्त हुआ। जैसे-जैसे मानव ने समाज के रूप में विकसित होना प्रारम्भ किया तो ये ही नदियां सभ्यताएं, संस्कृति, बोली एवं भाषाओं की पोषक बनी। समाज से गांव, गाँवो से शहर […]
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