एस्रो परिवार का नजरिया है, कि बुजुर्ग हमारी धरोहर है। युवा पीढ़ी को बुजुर्गो से बहुत कुछ सिखने और समझने को मिलता है। परन्तु आधुनिक युवा इन मूल्यों को तिलांजलि देता जा रहा है। जिसका परिणाम भारत देश में वृद्ध आश्रमों का खुलना है। एस्रो परिवार इन बुजुर्गो के सम्मान में बदलाव के पुरोधा नामक सम्मान से सम्मानित कर उन का धन्यवाद करता है। आज जो भी समाज से ले रहे है, वो सब उन लोगो का दिया हुआ है जो हमसे पहली पीढ़ी है। हम जिस समाज का सर्जन करेंगे उससे अगली पीढ़ी ग्रहण करेगी। यही निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। एस्रो परिवार में 20 बुजुर्गो का समूह स्वेच्छा से कार्य करता है। जो जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर है। हम भाग्यशाली है, जो इन सब का आशीर्वाद मिला।