राष्ट्पिता महात्मा गाँधी जी ने आज से लगभग 100 वर्ष पहले ही यह कहा था कि “ये प्रकृति हम सब की पूर्ति कर सकती है, मगर लोभ को नहीं“। यही दूरदृष्टि गाँधी जी को महान बनती है। आज जिस प्रकार हम भौतिकवाद में पड़ कर प्रकृति से खिलवाड़ कर रहे है, वो आने वाले समय में गंभीर परिणाम देंगे। प्राकृतिक संसाधनों का विकास के नाम पर जिस प्रकार से दोहन जारी है, और जो प्रकृति ने दुष्परिणाम देने प्रारम्भ किये है। वह विचारणीय है, अगर हम नहीं सम्भले तो प्रकृति हमे सम्भलने का मौका नहीं देगी। यही समय है, जीवनशैली में बदलाव लाना होगा। और इसी नजरिये पर अमल करते हुये, एस्रो परिवार ने पुराने कपड़ो के थैले बनवा कर जनहित में देने प्रारम्भ किये है। जिससे मानव पालीथीन के इस्तेमाल से बचे और पुराने कपड़े भी इस्तेमाल में आये।
प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग से ही जीवन संभव
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