आज मानव अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, कोरोना नामक महामारी से आज सम्पूर्ण विश्व त्रस्त है। जिस तरह की खौफनाक तस्वीर दिखाई दे रही है, सम्भवतः इस प्रकार की तस्वीर की उम्मीद मानव ने कभी सोची भी नहीं होगी। इस महामारी में जहां एक तरफ इंसान की मौत हो रही, वही दूसरी तरफ मनुष्य आर्थिक, मानसिक और शरीरिक समस्याओं से जूझ रहा है।
आज के समय में बड़ी संख्या में लोग बेरोज़गारी की समस्या से जूझ रहे है, वहीं बड़ी संख्या में लोगो का व्यवसाय प्रभावित हुआ है। वहीं कुछ लोग लंबे समय से घरों में कैद होने की वजह से मानसिक रोग से ग्रसित हो गये है। जिसके परिणाम आत्महत्या के रूप में नजर आने लगे है।
आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। आज के इस संकट के दौर में इस महामारी से मात्र अनुशासन एवं संयम से ही विजय पाई जा सकती है।
हमे अपने जीवन में अनुशासन एवं संयम अपनाना होगा। हमें अपनी आवश्यकताओं को कम करना होगा, हमें अपने जीवन में जीवन का आधार प्रकृति से प्रेम करना पुनः सीखना होगा।
यहां सवाल यह बनता है कि अगर कोरोना प्राकृतिक है? तो मानव ने प्रकृति का इतना दोहन क्यों किया, मनुष्य अपने आप को श्रेष्ठ की श्रेणी में गिनता है तब जब प्रकृति लम्बे समय से मनुष्य को गंभीर परिणाम भुगतने के संकेत दे रही थी, तब मनुष्य संभला क्यों नहीं? और अगर यह मानव निर्मित है, तब आप मनुष्य की मनोदशा समझ सकते है कि किस हद तक मानव का पतन हो गया है।
विगत वर्षो में जिस बेहूदे तरिके से मनुष्य द्वारा प्रकृति का दोहन किया है, वह गंभीर विषय है। हम उस विकास को प्राप्त करना चाहते है, जो विनाश की नींव पर आधारित होगा। प्रकृति का हर तत्व ईश्वर ने मनुष्य के लिये बनाया है, मनुष्य जिस प्रकार से प्रकृति के अन्य तत्वों की अनदेखी कर रहा है, उस तरिके से वह ईश्वर रूपी सत्ता को भी चुनौती दे रहा है।
कोरोना काल सम्पूर्ण विश्व के लिये आत्ममंथन का समय है, यह समय विचरने का है कि इस सृष्टि के सबसे शक्तिशाली मानव नामक जीव को एक अदृश्य कोरोना नामक जीवाणु ने घुटनों पर ला दिया है। अपने आप को विश्व की महाशक्तियां समझने वाले देश भी आज बेबस नजर आ रहे है।
मानव अपने आप को अगर श्रेष्ठ समझता है, तो उसे श्रेष्ठ बन कर आचरण भी करना चाहिये। इस स्थिति में उसको प्रकृति के हर तत्व के साथ साथ प्रकर्ति में विद्यमान हर जीव का भी सम्मान और ख्याल रखना होगा। ये सब तब ही संभव है, जब हमारे जीवन में अनुशासन और संयम होगा।